Gotra – गोत्र क्या है अपना गोत्र अगर पता नहीं है तो हम पता कैसे करें

Gotra – गोत्र क्या है 

मानव एक सामाजिक प्राणी है, एक सामान्य मनुष्य समाज द्वारा बनाए गए नीति और नियमों का पालन करने के लिए इस समाज में स्वयं को और अपने परिवार को मान सम्मान को बनाए रख सकता है।

  Gotra भी प्राचीन मानव समाज द्वारा बनाए गए रीति रिवाज का हिस्सा है जो यह निश्चित करता है कि एक व्यक्ति किसी पूर्वज की संतान है एक मंच के सभी वंशज मुख्य रूप से किसी एक पूर्वज से जुड़े हुए हैं। गोत्र का मतलब पिता के पिता के पिता के पिता…. का वंश।

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Gotra – गोत्र कितने होते है?

 हमारे ग्रंथों के अनुसार, हम सभी ऋषि मुनियों के संतान है। मुख्य रूप से सप्त ऋषियों के नाम के आधार पर सात Gotra का प्रचलन हुआ। ये सात ऋषि थे- 1.अत्रि, 2. भारद्वाज, 3. भृगु, 4. गौतम, 5.कश्यप, 6. वशिष्ठ, 7.विश्वामित्र.

बाद में इसमें आठवां गोत्र अगस्त्य भी जोड़ा गया बाद में यह आंकड़ा बढ़ता चला गया, लेकिन छोटे स्तर पर साधुओं से जोड़कर देखा जाए तो वर्तमान में कुल 115 Gotra की सूची पाए जाते हैं। सभी गोत्र समान होते है,इसमें कोई बड़ा गोत्र या छोटा गोत्र नहीं होता , सभी गोत्र में ब्रह्मण, छत्रिय, वैश्य और क्षुद्र होते है। उसी प्रकार अलग अलग गोत्र के अलग अलग कुलदेवी होती है।

Gotra

Gotra – गोत्रों में वैवाहिक स्थिति का आकलन –

सात Gotra का प्रचलन सप्त ऋषि – अत्रि, भारद्वाज, वृगु ,गौतम, कश्यप, वशिष्ठ, विश्वामित्र से हुआ लेकिन समय के साथ-साथ यह भी यह सब बढ़ते गए और एक समान वाली Gotra आगे चलकर किसी एक ही ऋषि की संतान होने के कारण भाई-बहन समझाने समझाने लगे मुख्य रूप से यही कारण है कि एक के समान गोत्र वाले स्त्री-पुरुष का विवाह आप समझा जाने लगा।

समाज की दृष्टि से एक समान गोत्र के लड़का लड़की का रिश्ता भाई-बहन का होता है और उनका आपस में विवाह करना सामाजिक दृष्टि से भी दंडनीय होता है।

एक ही गोत्र में विवाह न करने के पीछे एक कारण यह भी है कि एक ही गोत्र में विवाह करने से संतान में अनुवांशिक दोष आने की संभावना और भी ज्यादा हो जाती है जो कि आज का मेडिकल साइंस भी यह कहता है और संतान में शारीरिक गुण, व्यवहारिक गुना, अधिक गुण में कुछ नया नहीं आ पाता और इस कारण जो रोग माता-पिता को पहले से हुआ होता है वही रोग संतान को भी हो सकता है तो कुछ ज्यादा नहीं मिलता है परन्तु कानून की दृष्टि में वह गोत्र जाति धर्म विवाह के बंधन नहीं होता ।

  मुख्य मुख्य रुप से हमारा Gotra का प्रयोग विवाह संबंध स्थापित करते समय और पवित्र कार्य धार्मिक कार्य आदि यज्ञ हवन आदि करने में समय किया जाता है विवाह में लड़का लड़की और उनके माता-पिता और दादी का गोत्र का मिलान किया जाता है उनमें से किसी भी गोत्र में भी समान होने पर विवाह नहीं हो पाता।

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Gotra – अपना गोत्र कैसे पता करें ?

अपने गोत्र के विषय में एक व्यक्ति को जानने की जानकारी उनके परिवार के बड़े बूढ़े से मिलता है इसलिए अपनी गोत्र का पता करने का और इस परंपरा को अपने वंश तक पहुंचाने का एकमात्र तरीका यही है कि अपने बड़े बूढ़ों के गोत्र के विषय में पता करें और अपने पुत्र और पर पहुंचने से यह साझा करें।

       यदि आप आपके परिवार में बड़े बुढे नहीं हैं और आप अपने गोत्र के विषय में नहीं जानते हैं तो इस विषय में आप अपने आस पास के लोग से जानकारी ले सकते हैं।

अगर तब भी गोत्र का पता नहीं चले तो आप अपने गोत्र कश्यप  मान  सकते है। या फिर आप चाहे तो धार्मिक अनुष्ठान करवाने वाले विद्वान ब्रह्मण को कुछ दान कर उस ब्रह्मण का गोत्र को अपना गोत्र मान सकते है।

धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, मनु स्मृति आदि ग्रंथ में बताया गया है कि जिसे अपना गोत्र पता नहीं है वह अपना  कश्यप गोत्र उच्चारण कर सकते है। ( धर्म सिंधु के परिच्छेद तृतीय मे इसक सम्पूर्ण विस्तार मिलता है।

 इसके अलावा कोई भी निश्चित उपाय नहीं है जिससे आप अपना गोत्र पता कर सकें और नहीं जन्म कुंडली मिलान कर पता कर सकते हैं।

24 thoughts on “Gotra – गोत्र क्या है अपना गोत्र अगर पता नहीं है तो हम पता कैसे करें”

  1. Hamare purvaj uttar pradesh ke rehne wale the jo bad me Madhya Pradesh me akar settel ho gaye.. 3 pidiya bit chuki par hame na aaj tak unka pata chal saka na hi Gautra or Kuldevi ka pata chal saka hai … hame sirf itna pata hai ki hamare pardada UP me bareilly se the jinka name chhotelal ji tha … hamare parivar k kaka baba k log abhi bhi UP me hai par ham samajh nhi pa rahe unhe kese dhundne ka prayas kare ..
    Agr ho ske to kuch madad kre please

  2. मेरा सरनेम दीक्षित है।मेरा गोत्र शाडीलय है
    कृपया मेरे कुल देवी या कुलदेवता का नाम मालूम हो तो बताए।

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