Spiritual

shukra kavacham – शुक्र कवचम्

शुक्र कवचम् ध्यानम् मृणालकुंदेंदुपयोजसुप्रभंपीतांबरं प्रसृतमक्षमालिनम् ।समस्तशास्त्रार्थविधिं महांतंध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥ 1 ॥ ॥ अथ शुक्रकवचम् ॥ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः ।नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चंदनद्युतिः ॥ 2 ॥ पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवंदितः ।वचनं चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥ 3 ॥ भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः ।नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं […]

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shani vajrapanjara kavacham – शनि वज्रपंजर कवचम्

शनि वज्रपंजर कवचम् नीलांबरो नीलवपुः किरीटीगृध्रस्थितास्त्रकरो धनुष्मान् ।चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नःसदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः । ॥ । ब्रह्मा उवाच । शृणुध्वं ऋषयः सर्वे शनि पीडाहरं महत् ।कवचं शनिराजस्य सौरैरिदमनुत्तमम् ॥ कवचं देवतावासं वज्र पंजर संंगकम् ।शनैश्चर प्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥ अथ श्री शनि वज्र पंजर कवचम् । ॐ श्री शनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनंदनः ।नेत्रे छायात्मजः पातु पातु

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Ganesh Kavach – श्री गणेश कवचं

|| गणेश कवचम् || एषोति चपलो दैत्यान् बाल्येपि नाशयत्यहो ।अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ 1 ॥ दैत्या नानाविधा दुष्टास्साधु देवद्रुमः खलाः ।अतोस्य कंठे किंचित्त्यं रक्षां संबद्धुमर्हसि ॥ 2 ॥ ध्यायेत् सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहु माद्ये युगेत्रेतायां तु मयूर वाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । ई द्वापरेतु गजाननं युगभुजं रक्तांगरागं विभुं तुर्येतु द्विभुजं सितांगरुचिरं सर्वार्थदं सर्वदा

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Shiv Kavach Stotra – शिव कवच

Shiv Kavach Stotra अस्य श्री शिवकवच स्तोत्र महामन्त्रस्य ऋषभयोगीश्वर ऋषिः । अनुष्टुप् छन्दः । श्रीसाम्बसदाशिवो देवता । ॐ बीजम् । नमः शक्तिः । शिवायेति कीलकम् । मम साम्बसदाशिवप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ करन्यासः ॐ सदाशिवाय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । नं गङ्गाधराय तर्जनीभ्यां नमः । मं मृत्युञ्जयाय मध्यमाभ्यां नमः । शिं शूलपाणये अनामिकाभ्यां नमः । वां पिनाकपाणये कनिष्ठिकाभ्यां

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Sri Surya Kavach – सूर्य कवचं

Sri Surya Kavach श्री भैरव उवाच यो देवदेवो भगवान् भास्करो महसां निधिः ।गयत्रीनायको भास्वान् सवितेति प्रगीयते ॥ 1 ॥ तस्याहं कवचं दिव्यं वज्रपञ्जरकाभिधम् ।सर्वमन्त्रमयं गुह्यं मूलविद्यारहस्यकम् ॥ 2 ॥ सर्वपापापहं देवि दुःखदारिद्र्यनाशनम् ।महाकुष्ठहरं पुण्यं सर्वरोगनिवर्हणम् ॥ 3 ॥ सर्वशत्रुसमूहघ्नं सम्ग्रामे विजयप्रदम् ।सर्वतेजोमयं सर्वदेवदानवपूजितम् ॥ 4 ॥ रणे राजभये घोरे सर्वोपद्रवनाशनम् ।मातृकावेष्टितं वर्म भैरवानननिर्गतम् ॥ 5

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Narayan kavach – नारायण कवचम्

Narayan kavach – नारायण कवचम् न्यासः अङ्गन्यासः ॐ ॐ पादयोः नमः । ॐ नं जानुनोः नमः । ॐ मों ऊर्वोः नमः । ॐ नां उदरे नमः । ॐ रां हृदि नमः । ॐ यं उरसि नमः । ॐ णां मुखे नमः । ॐ यं शिरसि नमः । करन्यासः ॐ ॐ दक्षिणतर्जन्यां नमः । ॐ नं

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Gayatri Kavach

गायत्री कवचम् – Gayatri Kavach नारद उवाच स्वामिन् सर्वजगन्नाध संशयोऽस्ति मम प्रभोचतुषष्टि कलाभिज्ञ पातका द्योगविद्वर मुच्यते केन पुण्येन ब्रह्मरूपः कथं भवेत्देहश्च देवतारूपो मंत्र रूपो विशेषतः कर्मत च्छ्रोतु मिच्छामि न्यासं च विधिपूर्वकम्ऋषि श्छंदोऽधि दैवंच ध्यानं च विधिव त्प्रभो Read more : Gayatri Mantra | विभिन्न देवी – देवताओं के गायत्री मंत्र नारायण उवाच अस्य्तेकं परमं गुह्यं

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Sri Suktam – श्री सूक्तम्

।। श्री सूक्तम् ।। ( sri suktam ) Sri Suktam संकल्प :- ॐ मम स कुटुबस्य स परिवारस्य नित्य कल्याण प्राप्ति अर्थ लक्ष्मी विनाश पूर्वकं दशविध लक्ष्मी प्राप्ति अर्थ श्री महालक्ष्मी प्रीत्यर्थं यथा शक्ति श्री सुक्तस्य पाठ अहं करिष्ये। Sri Suktam महा-लक्ष्मी विनियोग :- ॐ हिरण्यवर्णा इति पंचदशर्चस्य श्री सुक्तस्य आधमंत्रस्य लक्ष्मीऋषि: चर्तुपशमंत्राणाम आनंदकर्दम चिकलीतेन्दिरासुता

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Shri Annapurna Stotram – श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

Shri Annapurna Stotram   श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित स्तोत्र है। ‘अन्ना’ का अर्थ भोजन या अनाज है और ‘पूर्णा’ का अर्थ है पूर्ण इस कारण इन्हें भोजन और पोषण की देवी कहा जाता हैं। Shri Annapurna Stotram में आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र में आदि शंकराचार्य द्वारा, माँ अन्नपूर्णा  की

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Shri Bhairav Stuti – श्री भैरव स्तुति

Shri Bhairav Stuti – श्री भैरव स्तुति –    श्री भैरव  भगवान शिव का उग्र रूप है। जो विभिन्न सिद्धियों को देने वाले हैं। सिद्धियों और तंत्र क्रिया प्राप्त करने के वाले तंत्र और योगियों द्वारा व्यापक रूप से पूजा की जाती है। भैरव स्वयं आठ अभिव्यक्तियाँ हैं, उनके नाम इस प्रकार है – १)

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Maa Dhumavati Ashtak stotra – माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं

Maa Dhumavati Ashtak stotra माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं Maa Dhumvati is the goddess of spiritual practice in the 9th place among the ten Mahavidyas. By reciting the Ashtak Stotra of Maa Dhumavati, all the enemies are destroyed from the root as well as the life of the seeker is fearless and progress. दस महाविद्याओं में

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Neel Saraswati stotram – श्री नील सरस्वती स्तोत्र

श्री नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati stotram माँ नील सरस्वती को देवी तारा  का रूप माना जाता है। इसका पाठ करने वाला मनुष्य ज्ञात और गुप्त दोनों  प्रकार के शत्रुओं पर विजय पा लेता है। शुभ तिथियों में अर्थात् अष्टमी, नवमी या चतुर्दशी के दिन श्री नील सरस्वती स्तोत्रम – Neel Saraswati stotram का

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