Shri Bhairav Stuti – श्री भैरव स्तुति

 श्री भैरव स्तुति – Shri Bhairav Stuti

 

श्री भैरव  भगवान शिव का उग्र रूप है। जो विभिन्न सिद्धियों को देने वाले हैं। सिद्धियों और तंत्र क्रिया प्राप्त करने के वाले तंत्र और योगियों द्वारा व्यापक रूप से पूजा की जाती है। भैरव स्वयं आठ अभिव्यक्तियाँ हैं, उनके नाम इस प्रकार है –

१) काल भैरव, २) असितांग भैरव, ३) समाहार भैरव, ४) रुरु भैरव, ५) क्रोध भैरव, ६) कपाल भैरव, ७) रुद्र भैरव और ८) अनमता भैरव।

 श्री भैरों रक्षक और कोतवाल भी माने जाते है। ज्योतिष में राहु के अधिकाधिक लाभ को प्राप्त करने के लिए भगवान भैरव की पूजा की जाती हैं।

 श्री भैरव महाविद्या देवी भैरवी से जुड़े हैं, जिससे लगन शुद्धि, शरीर, त्राटक, व्यक्तित्व और अनुयायी से जुड़े गुणों की शुद्ध और सुरक्षित होती है। संसार में सभी भौतिकवादी सुखों, निश्चित सफलता और अपने दुश्मनों पर विजय पाने के लिए भगवान भैरों की पूजा  उ राम बाण की  तरह उपयोगी है।

Read More : Maa Dhumavati Ashtak stotra – माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं

भगवान भैरव की नित्य प्रतिदिन पूजा से नारियल, फूल, सिंदूर, सरसों का तेल, काली तिल आदि अर्पित कर उनको प्रसन्न किया जा सकता है।

Shri Bhairav Stuti - श्री भैरव स्तुति

|| श्री भैरव स्तुति ||

Shri Bhairav Stuti

ॐ जै-जै भैरवबाबा स्वामी जै भैरवबाबा।

नमो विश्व भूतेश भुजंगी मंजुल कहलावा

उमानंद अमरेश विमोचन जनपद सिरनावा।

काशी के कृतवाल आपको सकल जगत ध्यावा।

स्वान सवारी बटुकनाथ प्रभु पी मद हर्षावा। ॐ।।

रवि के दिन जग भोग लगावे मोदक मन भावा।

भीषण भीम कृपालु त्रिलोचन खप्पर भर खावा।

शेखरचंद्र कृपालु शशि प्रभु मस्तक चमकावा।

गल मुण्डन की माला सुशोभित सुन्दर दरसावा। ॐ।।

नमो-नमो आनंद कंद प्रभु लट गत मठ झावा।

कर्ष तुण्ड शिव कपिल त्रयम्बक यश जग में छावा।

जो जन तुमसे लगावत संकट नहिं पावा।

छीतरमल जब शरण तुम्हारी आरती प्रभु गावा।

ॐ जै-जै भैरवबाबा स्वामी जै भैरवबाबा।

**Shri Bhairav Stuti**

Leave a Comment

error: