mantra sangrah

अक्षरों को क्रमबद्ध तरीके से उच्चारण करने से जो ध्वनि उत्पन्न होती है, उसे मंत्र कहते है । मंत्र के प्रकार  – वैदिक मंत्र , शबर मंत्र, बीज मंत्र आदि

Shree Vishnu Sahasranam Stotram

Shree Vishnu Sahasranam Stotram ॐ शुक्लांबरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशांतये ॥ 1 ॥ यस्यद्विरदवक्त्राद्याः पारिषद्याः परः शतम् ।विघ्नं निघ्नंति सततं विष्वक्सेनं तमाश्रये ॥ 2 ॥ पूर्व पीठिका Shree Vishnu Sahasranam Stotramव्यासं वसिष्ठ नप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम् ।पराशरात्मजं वंदे शुकतातं तपोनिधिम् ॥ 3 ॥ व्यासाय विष्णु रूपाय व्यासरूपाय विष्णवे ।नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः […]

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Shri Mahalakshmi Ashtakam – श्री महा लक्ष्म्यष्टकम्

श्री महा लक्ष्म्यष्टकम् – Shri Mahalakshmi Ashtakam – इंद्र उवाच – नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।शंखचक्र गदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 1 ॥ नमस्ते गरुडारूढे कोलासुर भयंकरि ।सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 2 ॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्व दुष्ट भयंकरि ।सर्वदुःख हरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 3 ॥ सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति

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Shri Lalita Sahasranama Stotram – श्री ललिता सहस्र नाम स्तोत्रम्

। श्री ललिता सहस्र नाम स्तोत्रम् – Shri Lalita Sahasranama Stotram । ॐ अस्य श्री ललिता दिव्य सहस्रनाम स्तोत्र महामंत्रस्य, वशिन्यादि वाग्देवता ऋषयः, अनुष्टुप् छंदः, श्री ललिता पराभट्टारिका महा त्रिपुर सुंदरी देवता, ऐं बीजं, क्लीं शक्तिः, सौः कीलकं, मम धर्मार्थ काम मोक्ष चतुर्विध फलपुरुषार्थ सिद्ध्यर्थे ललिता त्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिका सहस्र नाम जपे विनियोगः करन्यासःऐं अंगुष्टाभ्यां नमः,

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Mahishasura Mardini Stotram – अयि गिरिनंदिनि

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् – Mahishasura Mardini Stotram अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्व-विनोदिनि नंदनुतेगिरिवर विंध्य-शिरोऽधि-निवासिनि विष्णु-विलासिनि जिष्णुनुते ।भगवति हे शितिकंठ-कुटुंबिणि भूरिकुटुंबिणि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुर-मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 1 ॥ सुरवर-हर्षिणि दुर्धर-धर्षिणि दुर्मुख-मर्षिणि हर्षरतेत्रिभुवन-पोषिणि शंकर-तोषिणि कल्मष-मोषिणि घोषरते ।दनुज-निरोषिणि दितिसुत-रोषिणि दुर्मद-शोषिणि सिंधुसुतेजय जय हे महिषासुर-मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 2 ॥ अयि जगदंब मदंब कदंबवन-प्रियवासिनि हासरतेशिखरि-शिरोमणि तुङ-हिमालय-शृंगनिजालय-मध्यगते ।मधुमधुरे

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Sri Suktam – श्री सूक्तम्

।। श्री सूक्तम् ।। ( sri suktam ) Sri Suktam संकल्प :- ॐ मम स कुटुबस्य स परिवारस्य नित्य कल्याण प्राप्ति अर्थ लक्ष्मी विनाश पूर्वकं दशविध लक्ष्मी प्राप्ति अर्थ श्री महालक्ष्मी प्रीत्यर्थं यथा शक्ति श्री सुक्तस्य पाठ अहं करिष्ये। Sri Suktam महा-लक्ष्मी विनियोग :- ॐ हिरण्यवर्णा इति पंचदशर्चस्य श्री सुक्तस्य आधमंत्रस्य लक्ष्मीऋषि: चर्तुपशमंत्राणाम आनंदकर्दम चिकलीतेन्दिरासुता

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Shri Annapurna Stotram – श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

  Shri Annapurna Stotram   श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित स्तोत्र है। ‘अन्ना’ का अर्थ भोजन या अनाज है और ‘पूर्णा’ का अर्थ है पूर्ण इस कारण इन्हें भोजन और पोषण की देवी कहा जाता हैं। Shri Annapurna Stotram में आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र में आदि शंकराचार्य द्वारा, माँ अन्नपूर्णा 

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Shri Bhairav Stuti – श्री भैरव स्तुति

 श्री भैरव स्तुति – Shri Bhairav Stuti   श्री भैरव  भगवान शिव का उग्र रूप है। जो विभिन्न सिद्धियों को देने वाले हैं। सिद्धियों और तंत्र क्रिया प्राप्त करने के वाले तंत्र और योगियों द्वारा व्यापक रूप से पूजा की जाती है। भैरव स्वयं आठ अभिव्यक्तियाँ हैं, उनके नाम इस प्रकार है – १) काल

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Maa Dhumavati Ashtak stotra – माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं

माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं – Maa Dhumavati Ashtak stotra Maa Dhumvati is the goddess of spiritual practice in the 9th place among the ten Mahavidyas. By reciting the Ashtak Stotra of Maa Dhumavati, all the enemies are destroyed from the root as well as the life of the seeker is fearless and progress. दस महाविद्याओं

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Neel Saraswati stotram – श्री नील सरस्वती स्तोत्र

  श्री नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati stotram माँ नील सरस्वती को देवी तारा  का रूप माना जाता है। इसका पाठ करने वाला मनुष्य ज्ञात और गुप्त दोनों  प्रकार के शत्रुओं पर विजय पा लेता है। शुभ तिथियों में अर्थात् अष्टमी, नवमी या चतुर्दशी के दिन श्री नील सरस्वती स्तोत्रम – Neel Saraswati stotram

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Shri Devi atharvashirshal – श्री देव्यथर्वशीर्षम्

 देवी अथर्वशीर्ष स्तोत्रम (Devi atharvashirshal Stotram) । अथ श्री देव्यथर्वशीर्षम ।   ॐ सर्वे वै देवा देवीमुपतस्थुः  कासि त्वं महादेवीति ।।1।। साब्रवीत्-  अहं ब्रह्म्स्वरुपिणी । मत्तः प्रकृति पुरुशात्मकं जगत् । शून्यं चाशून्यं च ।।2।। अहमानन्दानानन्दौ । अहं विज्ञानाविज्ञाने । अहं ब्रह्माब्रह्मणी वेदितव्ये । अहं पञ्च्भूतान्यपञ्चभूतानि । अहमखिलं जगत् ।।3।। वेदोऽहमवेदोऽहम् । विद्याहमविद्याहम् । अजाहमनजाहम् । अधश्चोर्ध्वं

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108 names of goddess durga – श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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  श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्  ईश्र्वर उवाच शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने। यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥१॥   ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी। आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्राशू लधारिणी॥२॥   पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः। मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरुपा चिता चितिः॥३॥   सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरुपिणी। अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥४॥   शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा। सर्वविद्या

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Ardhnarishwar Stotram – श्री शङ्कराचार्य कृतं – अर्धनारीनटेश्वर स्तोत्र

॥ श्री अर्धनारीनटेश्वर स्तोत्र ॥ ( श्री शङ्कराचार्य कृतं )   चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।   धम्मिल्लकायै च जटाधराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ १ ॥     कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजः पुंजविचर्चिताय ।   कृतस्मरायै विकृतस्मराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ २ ॥     चलत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणीनूपुराय ।   हेमांगदायै भुजगांगदाय नम: शिवायै च नम:

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