Aarti Sangrah

Aarti Sangrah ” सनातन संस्कृति में आरती का काफी महत्व बताया गया है , जिसमें किसी खास वस्तुओं को जलाकर ईश्वर की आराधना की जाती है। हिन्दू धर्म में कुल 7 प्रकार के आरती की जानकारी मिलती है । वो है – मंगल आरती, श्रृंगार आरती, भोग आरती, धूप आरती, संध्या आरती एवं शयन आरती ..

Shri Vishwakarma Ji Ki Aarti | श्री विश्वकर्मा आरती

     ॥ Shri Vishwakarma aarti ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।   सकल सृष्टि के करता,   रक्षक स्तुति धर्मा ॥     आदि सृष्टि मे विधि को,   श्रुति उपदेश दिया ।   जीव मात्र का जग मे,   ज्ञान विकास किया ॥   Read more : Shri Vishnu Aarti […]

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Shri Hanuman Balaji Aarti | श्री बालाजी हनुमान आरती

  ll हनुमान जी आरती ll    ॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥ वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥   ॥ आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥   जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥ अंजनि

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Shri Badrinath Aarti | श्री बद्रीनाथजी की आरती

  श्री बद्रीनाथजी की आरती पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥   शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् । वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥   शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम् । जोग ध्यान अपार

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Jai Santoshi Mata | आरती: जय सन्तोषी माता

    आरती: जय सन्तोषी माता जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता । अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता ॥   जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥   सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो । हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥   जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥

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Shiv Shankar Aarti | श्री शिव आरती

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  ll शिव शंकर आरती ll Shiv Shankar Aarti  जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॥ जय शिव ओंकारा…॥   एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॥ जय शिव ओंकारा…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन

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Aarti Shri Ramchandra ki – श्री रामचन्द्र जी आरती

  आरती श्री रामचन्द्र जी की आरती की जै श्री रघुवर जी की,   सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥     दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,   सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥     अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,   मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥       निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,   सकल लोक

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Aarti Shri Satyanarayan ji Ki | श्री सत्यनारायण जी आरती

   Aarti Shri Satyanarayan ji Ki  जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । Read more : Shri Vishnu Aarti Lyrics – श्री विष्णु आरती  रतन जड़ित सिंहासन, अदभुत छवि राजे । नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

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Aarti Shri Shani Dev – Jai Shani Dev | श्री शनि देव आरती

॥ जय शनि देवा – श्री शनिदेव आरती ॥ जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा । अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन, करें तुम्हारी सेवा । जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा ॥   जा पर कुपित होउ तुम स्वामी, घोर कष्ट वह पावे । धन

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Shri Ganesh Aarti: Jai Dev Jai Dev Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev | श्री सिद्धिविनायक आरती

श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची । नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची । सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची । कंठी झलके माल मुकताफळांची । जय देव जय देव..   जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति । दर्शनमात्रे मनः, कमाना पूर्ति जय देव जय देव ॥   रत्नखचित फरा

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Surya dev Aarti-Jai Kashyap Nandan -जय कश्यप-नन्दन

|| जय कश्यप नन्दन आरती || Jai Kashyap Nandan Aarti in Sanskrit:    ” ऋषि कश्यप के पुत्र सूर्य देव की आरती ..” ॐ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी। दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सुर

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Shri Radha Rani ki – आरती श्री वृषभानुसुता की

   श्री राधा रानी की आरती  श्री वृषभानुसुता  की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥ त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि । पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥ ॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥   मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि । अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति

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Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti

॥ Shri Brihaspati Dev ji ki aarti ॥ जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥ ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा..॥ Read more : Shri Vishnu Aarti Lyrics – श्री

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