Shri Ganesh Aarti: Jai Dev Jai Dev : श्री सिद्धिविनायक आरती


श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची ।
कंठी झलके माल मुकताफळांची ।
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कमाना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
 
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा ।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा ।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ।
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कमाना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
 
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना ।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ।
दास रामाचा वाट पाहे सदना ।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना ।
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कमाना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
***********
Jai dev jai dev aarti

॥ श्री गणेशाची आरती ॥

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥
 
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥
 
भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाताधन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,जय देव जय देव ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥

जय देव जय देव,जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाताधन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,जय देव जय देव ॥

*********** 

॥ श्री शंकराची आरती ॥

लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा,
वीषे कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा
लावण्य सुंदर मस्तकी बाळा,
तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझुळा ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥
 
कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा,
अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा
विभुतीचे उधळण शितकंठ नीळा,
ऐसा शंकर शोभे उमा वेल्हाळा ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥
 
देवी दैत्यी सागरमंथन पै केले,
त्यामाजी अवचित हळहळ जे उठले
ते त्वा असुरपणे प्राशन केले,
नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥
 
व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी,
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी
शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी,
रघुकुलटिळक रामदासा अंतरी ॥
जय देव जय देव..
 
जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥
  
***********

।। श्री गणेश आरती ।।

 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
            माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।
 
           एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
           माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ।।
 
           पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
           लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा ।।
 
           जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
           माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।
 
          अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया 
          बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।।
 
          सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
          माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।
 
         जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
         माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।
 
     ***********
 

॥ श्री देवीची आरती ॥

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी,
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ।
वारी वारीं जन्ममरणाते वारी,
हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥
जय देवी जय देवी..
 
जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवर-ईश्वर-वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥
 
त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही,
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ।
साही विवाद करितां पडिले प्रवाही,
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥
जय देवी जय देवी..
 
जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥
 
प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां,
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ।
अंवे तुजवांचून कोण पुरविल आशा,
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥
जय देवी जय देवी..
 
जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥
***********

॥ घालीन लोटांगण आरती ॥

घालीन लोटांगण, वंदीन चरण ।
डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें ।
प्रेमें आलिंगन, आनंदे पूजिन ।
भावें ओवाळीन म्हणे नामा ॥
 
त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बंधुक्ष्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विध्या द्रविणं त्वमेव ।
त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥
 
कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा,
बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात ।
करोमि यध्य्त सकलं परस्मे,
नारायणायेति समर्पयामि ॥
 
अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्र भजे ॥
 
हरे राम हर राम,
राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

                                                                      *********** 

Leave a Comment

error: