Shri Ganesh Aarti: Jai Dev Jai Dev Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev | श्री सिद्धिविनायक आरती

श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची । नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची । सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची । कंठी झलके माल मुकताफळांची । जय देव जय देव..   जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति । दर्शनमात्रे मनः, कमाना पूर्ति जय देव जय देव ॥   रत्नखचित फरा […]

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Surya dev Aarti-Jai Kashyap Nandan -जय कश्यप-नन्दन

|| जय कश्यप नन्दन आरती || Jai Kashyap Nandan Aarti in Sanskrit:    ” ऋषि कश्यप के पुत्र सूर्य देव की आरती ..” ॐ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी। दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सुर

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Sankatmochan Hanuman Ashtak – संकट मोचन हनुमानाष्टक

  संकट मोचन हनुमानाष्टक बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥ बालि की त्रास कपीस बसैं

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Shri Radha Rani ki – आरती श्री वृषभानुसुता की

   श्री राधा रानी की आरती  श्री वृषभानुसुता  की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥ त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि । पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥ ॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥   मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि । अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति

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Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti

॥ Shri Brihaspati Dev ji ki aarti ॥ जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥ ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा..॥ Read more : Shri Vishnu Aarti Lyrics – श्री

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Shiv Chalisa – श्री शिव चालीसा

         ॥ श्री शिव चालीसा ॥   हिन्दू धर्म में भगवान की प्रार्थना करने के लिए चालीसा का पाठ किया जाता हैं। शिव चालीसा में चालीस पंक्तियां होने के कारण इसे चालीसा कहते हैं। केवल शिव चालीसा के पाठ करने से ही भक्त को बहुत आसानी से भगवान की कृपा प्राप्त हो जाती हैं।

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Hanuman Bahuk Lyrics | हनुमानबाहुक

 – श्री हनुमान बाहुक -Hanuman Bahuk             “असाध्य रोग और सारे कष्ट बाधा निवारण के लिए हनुमान बाहुक का पाठ करें “ (श्रीमद्गोस्वामितुलसीदासकृत) ।। श्री गणेशाय नम:।। श्री जानकीवल्लभो विजयते  छप्पय  सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बालबरन-तनु। भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु।। गहन-दहन-निरदहन-लंक नि:संक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव।। कह तुलसिदास सेवत सुलभ, सेवक

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Shiv Tandav Stotram – शिव तांडव स्तोत्रम्

॥ श्री शिव तांडव स्तोत्रम् ॥Shiv Tandav Stotram ” शिव तांडव स्तोत्र रावन द्वारा रचित एक स्तोत्र है , जो भगवान शिव को समर्पित है। यह स्तुति पंचचामर छंद में है। यदि आप पूरी निष्ठा के साथ इस स्तोत्र का पाठ करते है तो वाक् सिद्धि के साथ साथ यह आपको शक्ति, सुख, समृद्धि, मानसिक शक्ति और

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Tulsi Aarti – Maharani Namo Namo | तुलसी आरती – महारानी नमो-नमो

Tulsi Aarti – Maharani Namo Namo      – तुलसी आरती –                तुलसी पूजा, तुलसी विवाह, कार्तिक माह (पूर्णिमा), इस्कॉन मंदिर आदि में गया जाने वाला सबसे प्रसिद्ध तुलसी आरती । तुलसी महारानी नमो-नमो, हरि की पटरानी नमो-नमो । Read more : Shri Vishnu Aarti Lyrics – श्री विष्णु आरती धन तुलसी पूरण

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Shree Hanuman Chalisha – श्री हनुमान चालीसा

 श्री हनुमान चालीसा ( Hanuman chalisa  ) ॥ दोहा॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार   चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार

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Devi Aparadha Kshamapana Stotram – देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम्

Devi Aparadha Kshamapana Stotram – देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम् न मत्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहोन चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः ।न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनंपरं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥१॥  विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतयाविधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवेकुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥२॥  पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाःपरं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवेकुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥३॥ जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचितान वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषेकुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥४॥ परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतयामया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भवितानिरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥५॥ श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरानिरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः ।तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदंजनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥६॥ चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरोजटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः ।कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवींभवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥७॥ न मोक्षस्याकाङ्क्षा भवविभववाञ्छापि च न मेन विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः ।अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वैमृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः ॥८॥ नाराधितासि विधिना विविधोपचारैःकिं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः ।श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथेधत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥९॥ आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयंकरोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।नैतच्छठत्वं मम भावयेथाःक्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥१०॥ जगदम्ब विचित्रमत्र किंपरिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।अपराधपरम्परापरंन हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥११॥ मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि

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Aaditya hridaya stotram – आदित्य हृदय स्तोत्र

|| आदित्य हृदय स्तोत्र || Aaditya hridaya stotram  इस मंत्र के जप से सभी प्रकार के कार्य सिद्ध होते हैं। चाहें वह आपकी रोग से ग्रस्त हो या सरकारी नौकरी की चाहत रखते हो या कोई ऐसा काम जो आसाध हो । इस के पाठ से सभी प्रकार के कार्य सिद्ध होते हैं। सरकारी नौकरी

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