Shri Annapurna Stotram – श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

Shri Annapurna Stotram   श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित स्तोत्र है। ‘अन्ना’ का अर्थ भोजन या अनाज है और ‘पूर्णा’ का अर्थ है पूर्ण इस कारण इन्हें भोजन और पोषण की देवी कहा जाता हैं। Shri Annapurna Stotram में आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र में आदि शंकराचार्य द्वारा, माँ अन्नपूर्णा  की […]

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Shri Bhairav Stuti – श्री भैरव स्तुति

Shri Bhairav Stuti – श्री भैरव स्तुति –    श्री भैरव  भगवान शिव का उग्र रूप है। जो विभिन्न सिद्धियों को देने वाले हैं। सिद्धियों और तंत्र क्रिया प्राप्त करने के वाले तंत्र और योगियों द्वारा व्यापक रूप से पूजा की जाती है। भैरव स्वयं आठ अभिव्यक्तियाँ हैं, उनके नाम इस प्रकार है – १)

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Maa Dhumavati Ashtak stotra – माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं

Maa Dhumavati Ashtak stotra माँ धूमावती अष्टक स्तोत्रं Maa Dhumvati is the goddess of spiritual practice in the 9th place among the ten Mahavidyas. By reciting the Ashtak Stotra of Maa Dhumavati, all the enemies are destroyed from the root as well as the life of the seeker is fearless and progress. दस महाविद्याओं में

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Neel Saraswati stotram – श्री नील सरस्वती स्तोत्र

श्री नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati stotram माँ नील सरस्वती को देवी तारा  का रूप माना जाता है। इसका पाठ करने वाला मनुष्य ज्ञात और गुप्त दोनों  प्रकार के शत्रुओं पर विजय पा लेता है। शुभ तिथियों में अर्थात् अष्टमी, नवमी या चतुर्दशी के दिन श्री नील सरस्वती स्तोत्रम – Neel Saraswati stotram का

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Shri Devi atharvashirshal – श्री देव्यथर्वशीर्षम्

 देवी अथर्वशीर्ष स्तोत्रम (Devi atharvashirshal Stotram) । अथ श्री देव्यथर्वशीर्षम ।   ॐ सर्वे वै देवा देवीमुपतस्थुः  कासि त्वं महादेवीति ।।1।। साब्रवीत्-  अहं ब्रह्म्स्वरुपिणी । मत्तः प्रकृति पुरुशात्मकं जगत् । शून्यं चाशून्यं च ।।2।। अहमानन्दानानन्दौ । अहं विज्ञानाविज्ञाने । अहं ब्रह्माब्रह्मणी वेदितव्ये । अहं पञ्च्भूतान्यपञ्चभूतानि । अहमखिलं जगत् ।।3।। वेदोऽहमवेदोऽहम् । विद्याहमविद्याहम् । अजाहमनजाहम् । अधश्चोर्ध्वं

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Shri Navgrah Chalisa – श्री नवग्रह चालीसा

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ll श्री नवग्रह चालीसा ll (Shri Navgrah Chalisa) ॥ दोहा ॥ श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय । नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥ जय जय रवि शशि सोम, बुध जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥   ॥ चौपाई ॥ Shri Navgrah Chalisa ॥ श्री

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Shri Durga Chalisa – श्री दुर्गा चालीसा

|| श्री दुर्गा चालीसा ||  Shri Durga Chalisa नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अम्बे दुःख हरनी निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी शशि ललाट मुख महाविशाला नेत्र लाल भृकुटि विकराला रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे नमो नमो

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108 names of maa durga – श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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108 names of maa durga Shree Durga Ashtottara Shatanama Stotram   श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्  ईश्र्वर उवाच शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने। यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥१॥   ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी। आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्राशू लधारिणी॥२॥   पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः। मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरुपा चिता चितिः॥३॥   सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरुपिणी। अनन्ता भाविनी भाव्या

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Shri Ram Raksha Stotra – श्री राम रक्षा स्तोत्रम्‌

    Shri Ram Raksha Stotra   ।। श्री गणेशाय नम: ।। ॐ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य  बुधकौशिक ऋषि:  श्रीसीतारामचंद्रोदेवता  अनुष्टुप्‌ छन्द:  सीता शक्ति:  श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌  श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥ ( विनियोग विधि- हाथ में जल लेकर Shri Ram Raksha Stotra मंत्र को पड़े और जल को धरती पर गिरा दे। ) ॥ अथ ध्यानम्‌ ॥ Shri Ram Raksha

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Shri Vishwakarma Ji Ki Aarti | श्री विश्वकर्मा आरती

     ॥ Shri Vishwakarma aarti ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥   आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया । जीव मात्र का जग मे, ज्ञान विकास किया ॥   Read more : Shri Vishnu Aarti Lyrics – श्री विष्णु आरती जय

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Shri Hanuman Balaji Aarti | श्री बालाजी हनुमान आरती हनुमंत

 Shri Hanuman Balaji ll हनुमान जी आरती ll    ॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥ वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥   ॥ आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥   जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके

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Shri Badrinath Aarti | श्री बद्रीनाथजी की आरती

  Shri Badrinath Aarti श्री बद्रीनाथजी की आरती पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥   शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् । वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥   शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम् ।

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