Jyotish

ग्रह के अशुभ प्रभाव और इससे बचने के उपाय part – 2

शास्त्रों के अनुसार, कर्ज, शत्रु और रोग इनको कभी साधारण या छोटा न समझें, इनकी तरफ से लापरवाह न रहें और इनसे जल्द से जल्द छुटकारा पाने का पूरा प्रयत्न , इनको जड़ से समाप्त करना जरूरी होता है । ग्रह के अशुभ प्रभाव और इससे बचने के उपाय – चंद्रमा : संसार को तप्त […]

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सूर्य के अशुभ प्रभाव और उपाय

9 ग्रह में सूर्य को विशेष प्रधानता व मान्यता दी गयी है, क्योंकि सूर्य के अशुभ प्रभाव या सूर्य के शुभ प्रभाव से ही व्यक्ति के यश, प्रतिष्ठा व धनप्राप्ति के विषय में भविष्य वाणी की जाती है। मानव का सर्वप्रथम ध्यान आकर्षण कराने वाली वस्तु है सूर्य… परिमाण में बड़ा तथा प्रकाशमय होने के

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ग्रह डालते हैं स्वस्थ पर प्रभाव और इससे बचने के उपाय part -1

शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रह शुभ स्थिति में हो, तो शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है । यदि मन प्रसन्न हो तो तन स्वस्थ रहता है । तन, मन प्रसन्न व स्वस्थ हो, तो ही जीवन सुखी व समृद्ध होता है । हम जीवन में जो कुछ भी करते हैं, वह शरीर

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रावण संहिता – ” ग्रंथों के आधार पर चमत्कारित ज्योतिष “

रावण संहिता : भारत वर्ष में ज्योतिष शास्त्र के ऊपर अनेकानेक ग्रंथ हैं । इनमें कुछ ऐसी संहिताएं एवं नाड़ी रहें ग्रंथ हैं, जैसे रावण संहिता, जिसमें मानव के तीनों जन्मों के विषय में फलाफल लिखे हैं । ये फल जन्मकुंडली के नाड़ी, अंशों पर आधारित हैं । Read more : Love Merriage की क्या

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त्रिशांश कुंडली से स्त्री का चरित्र और विवाह में विलंब | Trishansh Kundali, Character of Girl and delay in marriage

स्त्री जातक के अध्ययन में हमारे ऋषियों ने कुंडली के त्रिशांश की वृहद व्याख्या की है । किसी भी राशि का तीसवां अंश (1/30) या 1 अंश Trishansh कहलाता है। Read more : Love Merriage की क्या शर्ते है ? प्रेम विवाह होने के योग विषम राशियों में त्रिशांश की इस प्रकार गणना की जाती

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अंतरजातीय विवाह और वैधव्य योग – Intercaste marriage & widowhood

किसी भी जातक की कुंडली में यदि सप्तम स्थान में मंगल एवं राहु विराजमान हो तो उस व्यक्ति का Marriage अपने जाति से न हो कर किसी अन्य जाति की कन्या से होता है , तो इसे ही अंतरजातीय विवाह कहते है और वैधव्य योग अर्थात किसी स्त्री का विधवा हो जाना है, ज्योतिष शास्त्र

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Love Merriage की क्या शर्ते है ? प्रेम विवाह होने के योग

Love Merriage के किसी भी विषय में कुंडली के प्रमुख रूप से सप्तम स्थान (most important) के अतिरिक्त द्वितीय स्थान एवं एकादश स्थान का अध्ययन आवश्यक है. कारण यह है कि कुंडली का लग्न स्थान से द्वितीय स्थान कुटुंब स्थान है और विवाह के बाद परिवार में एक व्यक्ति तो बढ़ता है एवं इस अतिरिक्त

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Manglik dosh क्या है ?

विवाह पुरुष एवं स्त्री का दैविक संबंध है । किसी ने सत्य ही कहा है कि विवाह ईश्वर के यहां ही निश्चित हो जाता है और ये विवाह धरती पर संपन्न होते । पुरुष या नारी के विवाह में मंगल, गुरु एवं शुक्र की प्रमुख भूमिका होती है । इस विवाह में मंगल ग्रह की

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कर्मवादी होते हैं सिंह राशि वाले लोग

सिंह राशि सिंह राशि, राशि चक्र की पांचवीं राशि है। इसका स्वरूप सिंह जैसा है। यह उग्र स्वभाव, दिवाबली, पूरब दिशा की निवासिनी, क्षत्रिय वर्ण, सतोगुणी, पुल्लिंग, दृढ़ शरीर दीर्घआकार, पशुयोनि, अग्नितत्व, चतुष्पद, धूम्रवर्ण, उष्ण प्रकृति, पीतधातु, दीर्घ शब्दकारी, अल्प संतति वाली है। इसका प्रभुत्व हृदय पर है. क्रोधित पुरुषों की जाति तथा स्वामी सूर्य

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Jupiter Mountain – अधिकार, नेतृत्व व लेखकीय गुण का परिचायक

jupiter mountain हथेली में तर्जनी अंगुली के मूल में स्थित क्षेत्र बृहस्पति क्षेत्र है। मुख्य रूप से इसे अधिकार नेतृत्व और लेखन का ग्रह माना जाता है। भारत में बृहस्पति को गुरु भी कहा जाता है। जिस व्यक्ति के हाथ में यह क्षेत्र उभार लिये हो, ऐसे व्यक्ति निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी व स्वाभाविक रूप

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Samudrik Shastra – सामुद्रिक शास्त्र

रोजगार-व्यापार के लिए सामुद्रिक शास्त्र -Samudrik Shastra सही रोजगार व्यवसाय के चुनाव के लिए हथेली पर स्थित ग्रह क्षेत्रों की भी जानकारी प्राप्त कर लेना आवश्यक है. कारण ग्रह किसी व्यक्ति की विशेषताओं को बताते हैं. रेखाओं के प्रभाव पर शुभाशुभ प्रभाव डालते हैं। भारतीय Samudrik Shastra में ग्रह क्षेत्रों का कोई उल्लेख नहीं मिलता,

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Yatra Muhurt – यात्रा मुहूर्त

जब आप किसी खास प्रयोजन हेतु यात्रा करने जा रहे हैं, तो उससे पूर्व yatra muhurt को ध्यान में रखते हुए यात्रा करें, ताकि आपकी यात्रा सुखद व सुफल हो | यात्रा से पूर्व दिशाशूल, नक्षत्र, चंद्रमा, तारा, शुभ नक्षत्र, योगिनी भद्रा, श्रेष्ठ, चौघड़िया आदि विचारणीय हैं । yatra muhurt में दिशाशूल: सोमवार तथा शनिवार

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