Sadhana ke Neyam
वैदिक पुजा (सात्विक साधना) में Sadhana ke Neyam के कुछ मह्वपूर्ण बिंदु-
ब्रम्हचर्य का पालन–
साधना में सफलता चाहिए तो ब्रम्हचर्य का पालन करना बड़ा आवश्यक होता है। इसे साधना का मुख्य नियम भी माना जाता हैं। ब्रम्हचर्य अर्थात् मन, कर्म , वचन आदि से पूर्ण सात्विक विचारो को लाना। किसे भी प२ाई स्त्री के बारे में विचारना, कामुख भाव मन में लाना , गंदे चित्र देखना , सम्भोग करना, मन की अपवित्रता आदि वर्जित होता है। आपको चाहिए की र्सिफ अपने ईष्ट के बारे में ही सोचना चाहिए।
भूमि पर श्यन-
साधना के दौरान आपको सिर्फ भूमि पर ही अपने कार्य करनी चाहिए, अर्थात् भोजन , स्यान, ध्यान, आदि भूमि पर ही करना चाहिए। सुख दायक बिस्तर आदि का त्याग करना चाहिए।
भोजन –
वस्त्र का चुनाव –
वैसे ही वस्त्र का चयन करना चाहिए, जिसकी आप साधना कर रहे है । अर्थात् जो आपके ईष्ट को प्रिय हो। यदि आप भगवान विष्णु की आराधना कर रहे है तो आप पीले रंग के वस्त्र का चयन करें।
मंत्र जप –
साधना करने से पूर्व यह सुनिश्चित करें कि आप जिस मंत्र को जपना चाहते है , तो उस मंत्र को याद कर लें और उस मंत्र की मूल ध्वनि को भी पहचान ले। विभिन्न प्रकार के मंत्र की मूल ध्वनि विभिन्न- विभिन्न प्रकार की होती है।
जप काल के दौरान नींद, आलस्य, उबास, डरना, थूकना, छिकना , खसना , लिंग को स्पर्श करना आदि वर्जित होता है। जप के पहले दिन से अंतिम दिन तक मंत्र की संख्या को निर्धारित रखना चाहिए।
मंत्र जप के दौरान मंत्र को गा-गा कर पढ़ना, सिर हिलाते रहना , स्वंय हिलते रहना, पैरों को स्पर्श करना, उच्च स्वर् या धीमें स्वर से पढना, हाथ पैरों को फैलाकर जप करना, मंत्र को भूल जाना आदि निषेध होता है।
तिथि का चयन-
साधना को प्रारंभ करने से पहले किसी शुभ दिन , तिथि , काल आदि देख लेना चाहिए। साधना को 1, 5, 11, 21, 31, 51……. आदि की संख्या में पूर्ण करने का संकल्प लेना चाहिए।