Sadhana ke Neyam – साधना में नियम

Sadhana ke Neyam

 
 
साधना में नियम का बहुत महत्व होता है । साधाना में नियम Sadhana ke Neyam का पालन कर ही साधना की पूर्ण फल की प्राप्ति की कामना पूरी हो सकती है। नियम के बिना साधना की ही नहीं जा सकती हैं अर्थात् साधना पूर्ण नहीं होती है। साधना भी विभिन्न प्रकार के होती हैं  जैसे साधना आप सात्विक के रहे या तामसिक। साधना के नियम भी इसी के द्वारा निर्धारित की जाती है।  यहां हमलोग चर्चा कर रहे है वैदिक पुजा ( सात्विक साधना ) की।

 

साधना में नियम - Sadhana ke Neyam

 वैदिक पुजा (सात्विक साधना) में Sadhana ke Neyam के कुछ मह्वपूर्ण बिंदु- 

ब्रम्हचर्य का पालन

साधना में सफलता चाहिए तो ब्रम्हचर्य का पालन करना बड़ा आवश्यक होता है। इसे साधना का मुख्य नियम भी माना जाता हैं। ब्रम्हचर्य अर्थात् मन, कर्म , वचन आदि से पूर्ण सात्विक विचारो को लाना। किसे भी प२ाई  स्त्री के बारे में विचारना, कामुख भाव मन में लाना , गंदे चित्र देखना , सम्भोग करना, मन की अपवित्रता आदि वर्जित होता है। आपको चाहिए की र्सिफ अपने ईष्ट के बारे में ही सोचना चाहिए।

 
 

भूमि पर श्यन-

साधना के दौरान आपको सिर्फ भूमि पर ही अपने कार्य करनी चाहिए, अर्थात् भोजन , स्यान, ध्यान, आदि भूमि पर ही करना चाहिए। सुख दायक बिस्तर आदि का त्याग करना चाहिए।

 

भोजन –

केवल सात्विक भोजन को ग्रहण करना चाहिए, अर्थात् मांस , मदिरा, भंडा, लहसुन , प्याज, नशे आदि वस्तुओ का त्याग क२ना चाहिए I जिससेआपका मन भी सात्विक हो सके। आप चाहे तो दिन में एक बार ही भोजन ग्रहण करे।
 
 

  वस्त्र का चुनाव –

वैसे ही वस्त्र का चयन करना चाहिए, जिसकी  आप साधना कर रहे है । अर्थात् जो आपके ईष्ट को प्रिय हो। यदि आप भगवान विष्णु की आराधना कर रहे है तो आप पीले रंग के वस्त्र का चयन करें।

 
साधना के नियम -Sadhana ke Neyam
 

मंत्र जप –

साधना करने से पूर्व यह सुनिश्चित करें कि आप जिस मंत्र को जपना चाहते है , तो उस मंत्र को याद कर लें और उस मंत्र की मूल ध्वनि को भी पहचान ले। विभिन्न प्रकार के मंत्र की मूल ध्वनि विभिन्न- विभिन्न प्रकार की होती है।
जप काल के  दौरान नींद, आलस्य, उबास, डरना, थूकना, छिकना , खसना , लिंग को स्पर्श करना आदि वर्जित होता है। जप के पहले दिन से अंतिम दिन तक मंत्र की संख्या को निर्धारित रखना चाहिए।
मंत्र जप के दौरान मंत्र को गा-गा कर पढ़ना, सिर हिलाते रहना , स्वंय हिलते रहना, पैरों को स्पर्श करना, उच्च स्वर् या धीमें स्वर से पढना, हाथ पैरों को फैलाकर  जप करना, मंत्र को भूल जाना आदि निषेध होता है।

 

तिथि का चयन-

साधना को प्रारंभ करने से पहले किसी शुभ दिन , तिथि , काल  आदि देख लेना चाहिए। साधना को  1, 5, 11, 21, 31, 51……. आदि की संख्या में पूर्ण करने का संकल्प लेना चाहिए।

 
जप में ध्यान , विश्वास, प्रत्येक दिन स्नान,  प्रातः और सध्या काल की पूजा, गुरु सेवा, मौन रहना आदि ।
 
अपशब्द वाक्यों का प्रयोग, अशुध वस्त्रों का प्रयोग, सोकर जागते हुए मंत्र जप ओर खाना खाते हुए मंत्र जप आदि नहीं करने के साथ साथ अपने आसन को किसे के साथ नहीं बाट ना चाहिए।
 
साधना काल में Sadhana ke Neyam के दौरान आपको अपने विभिन्न प्रकार के अनुभव होता रहें गे । इस कारण आप आवेश में आकर यह अनुभव किसी को नहीं बताना चाहिए। सिर्फ अपने गुरु को छओर कर।
 
आप जितने दिन तक की साधना करने का संकल्प लिया है तो उसे पूरा करें , बीच में साधना नहीं छोड़नी चाहिए । इससे आपको विभिन्न प्रकार के दोष उत्पन्न हो समते है।
आप जिस कामना के साथ साधना कर रहे है , उसे अपने मन में रखना चाहिए और अपने ईष्ट से निवेदन करते रहना चाहिए । सुबह से लेकर शाम तक केवल ओर केवल अपने ही ईष्ट का स्मर्ण करना चाहिए ।
 
                               
 
इस प्रकार यदि आप बताए गए नियमों के अनुसार रते है तो आपकी साधना जल्द ही पूर्ण होगी ओर आपको उत्तम फल की प्रप्ति होगी।
 
                                                

*Sadhana ke Neyam*

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