सिंह राशि
सिंह राशि, राशि चक्र की पांचवीं राशि है। इसका स्वरूप सिंह जैसा है। यह उग्र स्वभाव, दिवाबली, पूरब दिशा की निवासिनी, क्षत्रिय वर्ण, सतोगुणी, पुल्लिंग, दृढ़ शरीर दीर्घआकार, पशुयोनि, अग्नितत्व, चतुष्पद, धूम्रवर्ण, उष्ण प्रकृति, पीतधातु, दीर्घ शब्दकारी, अल्प संतति वाली है। इसका प्रभुत्व हृदय पर है. क्रोधित पुरुषों की जाति तथा स्वामी सूर्य होता है। सिंह राशि का विस्तार राशि चक्र के 120 अंश से 150 अंश तक है।
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सिंह राशि में जन्म लेने वाले जातकों का शरीर समानुपातिक आंखें गुलाबी, शरीर तथा सिर में कम बाल होते हैं । मस्तक चौड़ा, कद मध्यम होता है । इनकी नाक लंबी होती है । ये एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रह सकते, चाल सुस्त होती है, पैर कुछ कमजोर होते हैं।
मुखाकृति प्रभाव संपूर्ण तथा मुद्रा प्रसन्नचित्त एवं हंसमुख होती है। इनका व्यक्तित्व शानदार और रोबिला होता है, परंतु क्रोधी स्वभाव के होते हुए भी इनके क्रोध से किसी को हानि नहीं होती क्योंकि इनमें क्षमा करने की प्रकृति भी काफी होती है। विश्वास पाना और यकीन के साथ ईमानदारी इनका सर्वप्रिय गुण होता है. आपके राश्याधिपति सूर्य में उत्पादन, संरक्षण, उन्मूलन और आकर्षण की अद्भुत शक्ति विद्यमान है। इसमें प्रकाश उष्णता, वर्षा आदि की अने शति केंद्रित है।
एक सूर्योदय से सूर्यास्त पर्यंत सूर्य की गतिविधि जान लेने पर आपको अपने जीवन का तथ्य स्वयं ज्ञात हो जायेगा। राजा जैसे लोगों से संपर्क और न्यायाधीश जैसे विचार आपके होते हैं।
मैत्री चक्र के अनुसार सिंह राशि चंद्र, मंगल, बुध तथा गुरु के लिए मित्र राशि, शुक्र तथा शनि के लिए शत्रु राशि है. कभी-कभी शनि मारक होता है।
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इनकी बुद्धि काफी तेज तथा विलक्षण होती है. ये जातक प्रबंधक, निगमाध्यक्ष, अधिकारी, सुपरिटेंडेंट, निदेशक, कप्तान, न्यायाधीश, पुलिस, शिक्षक, दूत संवाददाता इत्यादि विभागों में छोटे-बड़े पद नौकरी से जीवकोपार्जन इनके लिए उपयुक्त होता है. जौहरी, स्वर्णकार, सिनेमा, मादक पदार्थ औषदि होटल, लॉज, लकड़ी उद्योग, टेंटहाउस, पुस्तक प्रकाशन, वस्त्र क्रय-विक्रय के व्यापार विशेष लाभकारी होते हैं।
इस राशि में जन्म लेने वाले कुछ जातक ज्योतिषी, तांत्रिक, संपादक, मंत्री तथा उच्च कोटि के लेखक होते देखे इस प्रकार के पुरुषों में प्रत्येक प्रकार की परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढाल लेने की क्षमता होती है।
मेष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु और सिंह राशि इन राशियों की जातिकाओं से विवाह होकर आपका दांपत्य जीवन संतोषजनक सुखी होता है। सूर्य के अशुभ प्रभाव से किसी भी उम्र में मानसिक रोग, हृदय रोग, मूत्र संबंधी रोग, चर्म रोग, ज्वर, क्षयरोग इत्यादि से होने की प्रबल संभावना रहती है। कभी-कभी छोटी-बड़ी दुर्घटना होने का भी भय होता है।
तीर्थ यात्रा, विदेश यात्रा, प्रवास भ्रमण का सुख, सुविधा प्रायः प्राप्त होती रहती है. आपकी कार्यकुशलता पर ही सुख-दुख, उन्नति-अवनति निर्भर होता है।
बृहस्पति ग्रह से प्रभावित करीब पांच या नौ की संख्या में संतान का योग बनता है, संतान का सुख सहयोग उत्तम तथा वाहनों का सुख मध्यम होता है. शनिवार का दिन कर्क, वृश्चिक, मीन राशि वाले व्यक्ति तथा काले रंग के वस्त्रादि पदार्थ आपके लिए ठीक नहीं हैं, लाल, सफेद, पीला रंग शुभ है, मूलांक एक और चार, अनुकूल तारीखें 1, 10, 19, 28 शुभ दिन रविवार शंकर एवं सूर्य की उपासना विशेष फलदायी होती है।
आपका जो भी कार्य बनता है, वह सूर्य के शुभ से और जो कार्य बनता है, वह सूर्य के शुभ से और जो कार्य बिगड़ता है, वह भी सूर्य के अशुभ प्रभाव से, सूर्य की अनुकूलता तथा दोषकृत निवारण के लिए आजीवन ‘मणिक‘ रत्न धारण करना फलदायी होता है |