Jupiter Mountain – अधिकार, नेतृत्व व लेखकीय गुण का परिचायक

jupiter mountain हथेली में तर्जनी अंगुली के मूल में स्थित क्षेत्र बृहस्पति क्षेत्र है। मुख्य रूप से इसे अधिकार नेतृत्व और लेखन का ग्रह माना जाता है। भारत में बृहस्पति को गुरु भी कहा जाता है।

जिस व्यक्ति के हाथ में यह क्षेत्र उभार लिये हो, ऐसे व्यक्ति निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी व स्वाभाविक रूप से महत्वाकांक्षी और स्वाभिमानी होते हैं। इनमें साहित्यिक नेतृत्व की क्षमता, उत्साह व प्रशासनिक दक्षता होती है।

गुरु वर्गीय लोग अर्थात जिसका jupiter mountain उभरा हो, तर्जनी अंगुली लंबी व शक्तिशाली हो, ग्रह का एपेक्स केंद्र में हो, प्रायः गौर वर्ण, भव्य व्यक्तित्व, प्रशस्ते ललाट, उन्नत नासिका, विद्वान, धार्मिक नेता , न्यायालय एवं जनजीवन में नेतृत्व तथा प्रतिष्ठायुक्त पदों पर प्रतिष्ठित पाये जाते हैं। ऐसे लोग धर्म, साहित्य या राजनीति के माध्यम से समाज को नयी दिशा देने की कोशिश करते हैं. मानवीय भावनाओं के प्रतिमूर्ति ये लोग स्वयं तो प्रगति करते ही हैं, अपने संपर्क में आने वाले को भी प्रोत्साहित करते हैं. समाज सेवा परोपकार व न्यायप्रियता इनके संस्कार में होते हैं। ऐसे लोग जीवन पथ पर सहजता से अग्रसर रहकर सफलता प्राप्त करते हैं. इनका वैवाहिक जीवन और पारिवारिक सुख सुखद होता है।

jupiter mountain जीवन की सामान्य प्रवृत्तियों की धुरी है। इस पर्वत से जीवन रेखा का उदय व्यक्ति को अत्यधिक महत्वाकांक्षी और दृढ़ संकल्पी बनाता है। जीवन रेखा से कोई प्रशाखा गुरु के गुणों को समावेशित कर देता है।

मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के उद्गम स्थल पर बनने वाला कोण जितना अधिक विस्तृत होगा, उतना ही व्यक्ति के चरित्र में स्वतंत्रता एवं आत्मविश्वास की प्रवृत्ति की अधिकता होगी। मस्तिष्क रेखा से यदि कोई प्रशाखा गुरु पर्वत पर जाये तो ऐसे लोग विलक्षण मानसिक क्षमता वाले साहित्यकार अथवा लेखक होते हैं। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न ये लोग असाधारण सपलता अर्जित करते हैं।

यदि jupiter mountain अल्प विकसित हो, तो व्यक्ति साधारण डील-डौल वाला स्वभाव से हंसमुख होता है। ऐसे लोग भाषण कला में निपुण, धन की अपेक्षा यश और सम्मान को महत्व देने वाले, धार्मिक प्रवत्ति युक्त, स्वतंत्र प्रकृति के होते हैं।

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